NEET PG 2025 Data Leak: 1.38 लाख छात्रों की निजी जानकारी सिर्फ ₹3,599 में बिक रही थी! बड़ा खुलासा
देश के लाखों मेडिकल छात्रों को झटका देने वाली एक बड़ी साइबर घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि NEET PG 2025 परीक्षा देने वाले करीब 1.38 लाख छात्रों का निजी डेटा लीक हो गया है। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा डेटा सिर्फ ₹3,599 में ऑनलाइन बेचा जा रहा था!
NEET PG 2025 Data Leak:क्या-क्या लीक हुआ?
मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया दावों के मुताबिक, लीक हुए डेटा में छात्रों की बेहद संवेदनशील जानकारियाँ शामिल हैं —
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नाम और रोल नंबर
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मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी
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पिता का नाम
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राज्य, स्कोर और रैंक जैसी जानकारी
यह डेटा कथित तौर पर कुछ टेलीग्राम और डार्क वेब चैनलों पर बेचा जा रहा था।
इतना सस्ता डेटा? सिर्फ ₹3,599!
इस पूरे “डेटाबेस” को ₹3,599 की कीमत में बेचने की बात सामने आई है।
यानी कि जो जानकारी करोड़ों रुपये के साइबर सुरक्षा सिस्टम से सुरक्षित रखी जानी चाहिए थी, वो कुछ हजार रुपये में हैकर्स के हाथों में पहुंच गई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ “विक्रेताओं” ने 200 से अधिक छात्रों का सैंपल डेटा दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की कि उनके पास असली जानकारी मौजूद है।
छात्र बोले – “हमारा नाम, रैंक, ईमेल सब सही था!”
‘X’ पर एक छात्र ने लिखा कि उसने डेटा बेचने वाले से संपर्क किया और उसे अपनी “रैंक” बताई। हैरानी तब हुई जब विक्रेता ने तुरंत उसका पूरा नाम, पिता का नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर सही-सही बता दिया।
इससे साफ जाहिर होता है कि यह डेटा अंदरूनी स्रोत से लीक हुआ हो सकता है।
NBEMS ने क्या कहा?
नेशनल बोर्ड ऑफ एग्ज़ामिनेशंस इन मेडिकल साइंसेज़ (NBEMS) ने इस पूरे मामले में सफाई देते हुए कहा है कि उनका काम केवल परीक्षा आयोजित करना और परिणाम जारी करना है।
NBEMS ने कहा कि डेटा का ट्रांसफर और उपयोग कई एजेंसियों के स्तर पर होता है, और यह लीक NBEMS के बाहर भी संभव है।
यानी मामला और भी पेचीदा हो गया है — क्योंकि अब यह पता लगाना होगा कि लीक किस स्तर पर हुआ है — NBEMS, MCC (Medical Counselling Committee) या किसी राज्य काउंसलिंग एजेंसी से।
जांच और साइबर अलर्ट की मांग
अब छात्रों और पैरेंट्स ने सरकार से इस लीक की फॉरेंसिक जांच की मांग की है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे डेटा लीक से पहचान की चोरी (identity theft) और फ्रॉड एडमिशन रैकेट जैसे खतरे बढ़ सकते हैं। अगर यह डेटा गलत हाथों में गया, तो इसका इस्तेमाल कॉल फ्रॉड, एडमिशन स्कैम या यहां तक कि मेडिकल काउंसलिंग में धांधली के लिए भी हो सकता है।
सरकार की चुप्पी पर सवाल
अब तक इस मामले में केंद्र सरकार या स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। छात्रों के संगठनों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर संवेदनशील डेटा लीक होना “राष्ट्रीय स्तर का डेटा सुरक्षा संकट” है।
मेडिकल शिक्षा की गोपनीयता पर बड़ा सवाल
NEET PG देश की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल परीक्षाओं में से एक है, जिसके माध्यम से हजारों डॉक्टर स्पेशलाइजेशन के लिए चुने जाते हैं।
अगर इस स्तर की परीक्षा का डेटा लीक हो रहा है, तो यह न सिर्फ छात्रों की सुरक्षा बल्कि भारत की साइबर सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है।
अब सभी की निगाहें NBEMS और सरकार पर हैं — क्या वे इस “डेटा स्कैम” का सच सामने लाएँगे या यह भी किसी और साइबर रहस्य की तरह दबा दिया जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब – अब निगाहें अदालत पर
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही सक्रिय हो चुका है। 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने NBEMS (National Board of Examinations in Medical Sciences) को इस डेटा लीक विवाद पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया था।
अब तय समय के अनुसार, यह मामला 28 अक्टूबर को फिर से अदालत में सुना जाएगा।
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सुनवाई बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि अदालत यह तय कर सकती है कि इस डेटा लीक की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए या NBEMS खुद जिम्मेदारी ले।