Missing girls cases in MP:मध्य प्रदेश में लड़कियों के लापता होने की दुखभरी सच्चाई
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मध्य प्रदेश, खासकर इंदौर, भारत का सबसे स्वच्छ शहर होने की उपलब्धि के लिए जाना जाता है। लेकिन इस चमक के पीछे छिपी कड़वी हकीकत कुछ और ही कहती है। पिछले कुछ वर्षों में हजारों महिलाएं और लड़कियां राज्य से लापता हो चुकी हैं। यह केवल सुरक्षा की विफलता नहीं, बल्कि समाज और सरकार की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। इस लेख में हम इस संकट के आंकड़े, कारण, सरकार की कोशिशें और कमियां, और समाधान के उपाय विस्तार से देखेंगे।
Missing girls cases in MP:समस्या की गंभीरता
मध्य प्रदेश में आंकड़े
- 2021-2024: 31,000+ महिलाएं और लड़कियां लापता। इनमें 28,857 महिलाएं और 2,944 लड़कियां शामिल हैं।
- 2019-2021: NCRB के अनुसार लगभग 2 लाख लोग लापता, जिसमें 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां।
- 2025 (30 जून तक): 21,175 महिलाएं और 1,954 लड़कियां एक साल से अधिक समय से लापता।
औसतन: हर दिन 28 महिलाएं और 3 लड़कियां गायब हो रही हैं।
इंदौर: स्वच्छता के साथ दुखद हकीकत
इंदौर, जो स्वच्छता में देश में नंबर 1 है, लापता महिलाओं और बच्चों के मामले में भी शीर्ष पर है।
- 2021-2024: 2,384 महिलाएं लापता, जिनमें से 479 एक महीने से अधिक समय से गायब। केवल 16 मामलों में FIR दर्ज।
- बच्चे: सबसे अधिक 13-17 वर्ष की लड़कियां लापता हो रही हैं, ज्यादातर निम्न सामाजिक–आर्थिक पृष्ठभूमि से।
- IIM-इंदौर की स्टडी: शहरी मलिन बस्तियों में रहने वाली लड़कियां, आक्रामक पेरेंटिंग और अपमानजनक रिश्तों से परेशान होकर घर छोड़ देती हैं।
लापता होने के कारण
सामाजिक–आर्थिक कारण
- गरीबी और प्रवास: लड़कियां कम उम्र में नौकरी के लिए पड़ोसी राज्यों में जाती हैं, जहाँ मानव तस्करी का शिकार बन जाती है।
- सामाजिक कलंक: कई परिवार डर के कारण शिकायत नहीं करते।
- पुलिस की निष्क्रियता: अक्सर लड़कियों को “भाग गईं” मान लिया जाता है।
प्रशासनिक विफलताएं
- सीसीटीवी की कमी: खोज और पहचान मुश्किल।
- तेज प्रतिक्रिया की कमी: आपातकालीन कार्रवाई के लिए पुलिस में कोई स्पेशल टीम नहीं।
- मानव तस्करी: आदिवासी और गरीब क्षेत्रों में लड़कियों को शोषण के लिए फंसाया जाता है।
सरकार के प्रयास और कमियां
उठाए गए कदम
- कानूनी उपाय: यौन अपराध रोकने के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया: 112 नंबर पर कॉल सुविधा।
- विशेष कार्रवाई: NHRC ने लापता बच्चियों के मामलों में सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया।
- ऑपरेशन मुस्कान: लापता लड़कियों की खोज और पुनर्वास के लिए।
कमियां
- FIR की कमी: 31,000 मामलों में केवल 724 FIR।
- पुलिस की निष्क्रियता: भ्रष्टाचार और इच्छाशक्ति की कमी।
- न्याय में देरी: 1,500+ आरोपी फरार।
इंदौर की कड़वी सच्चाई
स्वच्छता के तमगे के बावजूद, इंदौर लापता लड़कियों के मामले में शीर्ष पर। केवल 16 FIR दर्ज होना बताता है कि प्रशासन गंभीर नहीं। शहर की सड़कें चमक रही हैं, लेकिन बेटियों की सुरक्षा खतरे में।
समाधान के लिए सुझाव
- कानून प्रवर्तन मजबूत करना: ज्यादा सीसीटीवी, आपातकालीन कार्रवाई के लिए पुलिस में कोई स्पेशल टीम गठित हो ।
- FIR पंजीकरण सुधारना: परिवारों को बिना डर शिकायत दर्ज करने के लिए जागरूक करना।
- मानव तस्करी रोकना: आदिवासी/मलिन बस्ती क्षेत्रों में आर्थिक अवसर।
- जागरूकता अभियान: परिवार और समाज को संवेदनशील बनाना।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई।
मध्य प्रदेश, विशेषकर इंदौर में लापता लड़कियों और महिलाओं की संख्या गंभीर संकट है। स्वच्छता के तमगे के पीछे छुपी यह कड़वी सच्चाई हमारी बेटियों की सुरक्षा और भविष्य के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत को दर्शाती है। हमें ऐसी व्यवस्था चाहिए जो हमारी बेटियों को सुरक्षित रखे और उनका भविष्य संवार सके।
हम चुप नहीं रहेंगे! हर लापता लड़की की आवाज़ हम सरकार तक पहुँचा के मानेगे और सरकार को जवाब देना होगा। शहर की सड़कें चमक रही हैं, लेकिन हमारी बेटियों की सुरक्षा अभी भी खतरे में है।