Mahatma Gandhi की हत्या: कारण, घटना और परिणाम
महात्मा गांधी, जिन्हें पूरी दुनिया अहिंसा और सत्य के पुजारी के रूप में जानती है, उनकी हत्या 30 जनवरी 1948 को कर दी गई थी। इस हत्या को नाथूराम गोडसे ने अंजाम दिया था। गांधी जी की हत्या भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक मानी जाती है। इस लेख में हम हत्या की पूरी घटना, उसके कारण और उसके बाद के परिणामों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Mahatma Gandhi:गांधी जी की हत्या और उसके परिणाम-
Mahatma Gandhi जी की हत्या कब और कहां हुई?
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में हुई थी। गांधी जी रोज़ की तरह शाम 5:17 बजे प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे ने उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां चला दीं। गोली लगते ही गांधी जी गिर पड़े और कहा जाता है कि उनके अंतिम शब्द “हे राम!” थे।
नाथूराम गोडसे ने Mahatma Gandhi जी की हत्या क्यों की?
नाथूराम गोडसे, जो एक कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी था, उसने गांधी जी की हत्या के पीछे कई कारण बताए। उसके अनुसार—
- भारत का विभाजन:
गोडसे गांधी जी को भारत के विभाजन (1947) के लिए ज़िम्मेदार मानता था। उसे लगता था कि गांधी जी की नीतियों के कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ और लाखों हिंदुओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। - मुसलमानों के प्रति झुकाव:
गोडसे का मानना था कि गांधी जी मुसलमानों के प्रति नरम रुख रखते थे और हिंदुओं की अनदेखी कर रहे थे। उसने विशेष रूप से यह आरोप लगाया कि गांधी जी ने भारत सरकार पर दबाव डालकर पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिए मजबूर किया, जबकि वह पैसा भारत के लिए उपयोगी हो सकता था। - हिंदू राष्ट्र की विचारधारा:
गोडसे हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा था और वह भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहता था। उसे लगता था कि गांधी जी की अहिंसा और हिंदू-मुस्लिम एकता की नीतियां हिंदुओं के हित में नहीं थीं। - अहिंसा की नीति से असहमति:
गोडसे को लगता था कि गांधी जी की अहिंसा की नीति के कारण भारत कमजोर हो रहा था और देश की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा था।
हत्या के बाद क्या हुआ?
हत्या के तुरंत बाद नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया। गांधी जी की हत्या में नाथूराम गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे सहित कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया गया।
मुकदमा और सजा:
- 5 मई 1949 को कोर्ट ने नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुनाई।
- 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में गोडसे और आप्टे को फांसी दी गई।
- बाकी के आरोपियों को उम्रकैद या अन्य सजाएँ दी गईं।
गांधी जी की हत्या के प्रभाव
गांधी जी की हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार थे—
- सांप्रदायिक तनाव बढ़ा: गांधी जी की हत्या के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया और कई जगह हिंसा भड़क उठी।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध: गोडसे की हत्या के बाद तत्कालीन सरकार ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया, हालांकि बाद में इसे हटा लिया गया।
- गांधी जी की विचारधारा को और बल मिला: उनकी हत्या के बावजूद, उनकी अहिंसा और सत्याग्रह की विचारधारा पूरे विश्व में और अधिक प्रसिद्ध हुई।