आदित्य-एल1 मिशन को लैग्रेंजियन बिंदु 1 पर भेजा गया है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष में वह स्थान है जहां एक छोटी वस्तु सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के तहत संतुलन में रह सकती है।
ADITYA-L1:-6 DECEMBER 2024(शनिवार) को आदित्य-एल 1 लॉन्च अपने गंतव्य बिंदु लैग्रेंज-1 पर पहुंच गया। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब दुनिया की नजर आदित्य-एल1 मिशन पर भी है।
Another grand feat accomplished by ISRO! As part of India’s maiden solar mission, Aditya L1, the observatory has been placed in the final orbit and reached its destination at Lagrange Point 1. Congratulations to the entire Indian scientist community for the great achievement!…
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 6, 2024
आखिर आदित्य-एल 1 क्या है? जिस एल1 बिंदु पर मिशन भेजा गया है, वह क्या होता है? सूर्य का अध्ययन लैग्रेंजियन बिंदु से क्यों किया जा रहा है? आइए समझते हैं—
आदित्य-एल 1 क्या है?
ADITYA-L1:-आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना थी जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। इसे 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। भारत का आदित्य एल1 अभियान सूर्य की अदृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा।
ADITYA-L1:-
जिस लैग्रेंजियन बिंदु पर मिशन भेजा गया है, वह क्या है?
ADITYA-L1:-लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष में वह स्थान होते हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। लैग्रेंजियन बिंदु में एक छोटी वस्तु दो बड़े पिंडों (सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के तहत संतुलन में रह सकती है। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।
अंतरिक्ष में पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 के रूप में परिभाषित किया गया है। L1, L2 और L3 बिंदु सूर्य और पृथ्वी के केंद्रों को जोड़ने वाली रेखा पर स्थित हैं। वहीं L4 और L5 बिंदु दोनों बड़े पिंडों के केंद्रों के साथ दो समबाहु त्रिभुजों के शीर्ष बनाते हैं।
L1 बिंदु दो बड़े पिंडों के बीच स्थित है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल बराबर और विपरीत है। यही वह बिंदु होगा जहां आदित्य एल1 मिशन को रखा जाएगा। L2 बिंदु छोटे पिंड से परे स्थित है, जहां छोटे पिंड का गुरुत्वाकर्षण बल बड़े पिंड के कुछ बल को निष्प्रभावी कर देता है। L3 बिंदु छोटे पिंड के विपरीत, बड़े पिंड के पीछे स्थित होता है। वहीं, L4 और L5 बिंदु बड़े पिंड के चारों ओर उसकी कक्षा में छोटे पिंड से 60 डिग्री आगे और पीछे स्थित होते हैं।
सूर्य का अध्ययन लैग्रेंजियन बिंदु से क्यों किया जा रहा है?
ADITYA-L1:-लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए उपयोगी हैं क्योंकि यहां कम ऊर्जा वाली कक्षाएं होती हैं। इसके साथ ही इस बिंदु से अंतरिक्ष के कुछ क्षेत्रों को निर्बाध रूप से देखा जा सकता है। सूर्य-पृथ्वी प्रणाली का L1 बिंदु एक अंतरिक्ष यान को लगातार सूर्य का निरीक्षण करने की अनुमति देता है। दूसरी ओर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के L2 बिंदु से दूरबीनों के जरिए गहरे स्थान का स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है। L4 और L5 बिंदु पर ट्रोजन क्षुद्रग्रह होते हैं जो सूर्य के चारों ओर एक ग्रह की कक्षा को साझा करते हैं।