Navratri Day 1 Puja 2025: मां शैलपुत्री की पूजा विधि, महत्व और रहस्य
भारत में नवरात्रि सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि आस्था और भक्ति का महासागर है। साल में दो बार आने वाली नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर तक मनाई जाएगी। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना का विधान है। मां शैलपुत्री को शक्ति और धैर्य का प्रतीक माना जाता है।
Navratri Day 1 Puja 2025: मां शैलपुत्री कौन हैं?
‘शैल’ का अर्थ है पर्वत और ‘पुत्री’ का अर्थ है पुत्री। मां शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इन्हें देवी सती का अवतार भी कहा जाता है। देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया था, तब अगले जन्म में वे हिमालय के घर में जन्मी और शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
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इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है।
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इनकी सवारी नंदी (बैल) है।
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मां शैलपुत्री को शक्ति, संयम और सरलता की देवी कहा जाता है।
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का महत्व
पहले दिन नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना से होती है। इसे ‘कलश स्थापना’ भी कहते हैं।
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शुभ मुहूर्त में लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर कलश रखा जाता है।
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कलश में गंगाजल, चावल, सुपारी, सिक्के और आम के पत्ते डाले जाते हैं।
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कलश के ऊपर नारियल स्थापित किया जाता है।
यह कलश नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी मां की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Step by Step)
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सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
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पूजा स्थान को साफ कर वहां कलश स्थापना करें।
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मां शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
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गंगाजल से छिड़काव कर वातावरण शुद्ध करें।
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घी का दीपक जलाएं, क्योंकि मां शैलपुत्री को घी प्रिय है।
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उन्हें सफेद रंग के फूल अर्पित करें।
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भोग में घी और दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं।
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मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का 108 बार जाप करें।
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अंत में आरती कर प्रार्थना करें।
आज का रंग और भोग
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नवरात्रि के पहले दिन का शुभ रंग सफेद है। सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
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इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करने से मन में स्थिरता और शांति आती है।
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मां शैलपुत्री को घी, दूध और सफेद फूल का भोग चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है।
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
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मां शैलपुत्री की आराधना से भक्त को मानसिक शांति और धैर्य की प्राप्ति होती है।
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जीवन में स्थिरता और मजबूती आती है।
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जो लोग नवरात्रि का व्रत रखते हैं, उनके लिए मां शैलपुत्री की पूजा सुख-समृद्धि लाने वाली होती है।
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मां शैलपुत्री का आशीर्वाद मिलने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
धार्मिक मान्यता और रहस्य
शास्त्रों में कहा गया है कि मां शैलपुत्री की पूजा से जीवन की नींव मजबूत होती है। जैसे एक पर्वत स्थिर और अडिग खड़ा रहता है, वैसे ही मां शैलपुत्री अपने भक्तों के जीवन को स्थिरता और शक्ति प्रदान करती हैं।
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कहते हैं कि जिन लोगों की शादी या संतान संबंधी समस्या होती है, उन्हें मां शैलपुत्री की विशेष आराधना करनी चाहिए।
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इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने और मन को पवित्र रखने का विशेष महत्व है।
विशेष सावधानियां
पहले दिन पूजा में छोटी-सी गलती भी अशुभ मानी जाती है।
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कलश स्थापना गलत मुहूर्त में न करें।
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पूजा में काले रंग का इस्तेमाल न करें।
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भोग और प्रसाद शुद्ध होना चाहिए।
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माता को चढ़ाए गए फूल मुरझाए या गंदे नहीं होने चाहिए।
नवरात्रि का पहला दिन बेहद खास होता है क्योंकि यह पूरे नौ दिनों की साधना की नींव है। मां शैलपुत्री की पूजा करके भक्त अपने जीवन में शांति, स्थिरता और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन की पूजा विधि को सही ढंग से करना हर भक्त के लिए जरूरी है, ताकि माता रानी प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें।
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