Manisha Case Update : आत्महत्या या हत्या? जनता पूछ रही है—सच क्यों दबाया जा रहा है?
हिसार और भिवानी की गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर कोई एक ही सवाल कर रहा है—क्या 19 साल की मनीषा ने सच में खुदकुशी की, या फिर इस केस को जानबूझकर दबाया जा रहा है?
Manisha Case Update:कौन थी मनीषा?
मनीषा, भिवानी जिले के सिंघानी गांव की रहने वाली, एक प्ले स्कूल शिक्षिका थीं। पढ़ाई को लेकर सीरियस और आगे नर्सिंग में करियर बनाना चाहती थीं। 11 अगस्त 2025 को जब वह नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन पूछने गईं, तो वापस घर नहीं लौटीं।
लापता होने से लेकर शव मिलने तक
- 11 अगस्त: मनीषा घर से निकलीं, लेकिन वापस नहीं आईं। फोन से दो बार कॉल आई—एक बार शाम 6:30 बजे, दूसरी बार रात को, लेकिन दोनों अधूरी रहीं।
- 12 अगस्त: परिवार पुलिस के पास गया, लेकिन पुलिस ने कहा “लड़की भाग गई होगी, शादी करके लौट आएगी।”
- 13 अगस्त: धानी लक्ष्मण गांव के खेतों में मनीषा की लाश मिली। गले पर कट जैसे निशान थे।
पोस्टमॉर्टम और पुलिस की कहानी
तीन पोस्टमॉर्टम और एफएसएल रिपोर्ट के बाद पुलिस ने दावा किया कि मनीषा की मौत कीटनाशक खाने से हुई।
- जहर से मौत: विसरा रिपोर्ट में कीटनाशक मिला।
- रेप खारिज: एफएसएल में किसी भी तरह के यौन शोषण के सबूत नहीं मिले।
- गर्दन और शरीर पर चोट: शुरुआत में जिन्हें गला काटना कहा गया, बाद में इसे जंगली जानवरों के काटने जैसा बताया गया।
- सुसाइड नोट: बैग में मिला नोट, जिसे मनीषा की लिखावट माना जा रहा है।
पुलिस कहती है—“ये आत्महत्या है, सबूत साफ हैं। अफवाहें फैलाना बंद करें।”
परिवार और ग्रामीण क्यों नहीं मान रहे?
मनीषा के पिता का साफ कहना है—“मेरी बेटी आत्महत्या नहीं कर सकती। यह हत्या है और पुलिस सच्चाई दबा रही है।”
ग्रामीणों और पंचायतों ने भी पुलिस पर केस दबाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि—
- जब परिवार ने गुमशुदगी दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने क्यों टाल दिया?
- अगर मनीषा ने जहर खाया, तो फिर वो 2 किलोमीटर दूर खेत तक कैसे पहुंचीं?
- शुरुआती पोस्टमॉर्टम में जहर क्यों नहीं मिला?
- आधी रात को आए मिस्ड कॉल का राज़ क्या है?
सड़क पर उतरे लोग और बढ़ा बवाल
14 अगस्त से प्रदर्शन शुरू हुआ और 19 अगस्त तक यह “पक्का मोर्चा” बन गया।
- हाईवे जाम हुए, स्कूल बंद कर दिए गए।
- पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करना पड़ा, भिवानी के एसपी का तबादला हुआ।
- सरकार को मजबूरी में भिवानी और चरखी दादरी में इंटरनेट बंद करना पड़ा ताकि खबरें और वीडियो वायरल न हों।
क्यों उठ रहे हैं “दबाव” और “साजिश” के सवाल?
लोगों का कहना है कि—
- पुलिस शुरुआत से ही मामले को हल्का दिखाने में लगी रही।
- सरकार चुनावी साल में किसी बड़े स्कैंडल से बचना चाहती है।
- पीड़िता पर ही आरोप डालने की कोशिश हो रही है, ताकि केस शांत हो जाए।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन चाहता है “जल्दी से दफनाओ मामला, लोग भूल जाएंगे।” लेकिन सवाल ये है कि एक पढ़ने–लिखने वाली लड़की, जिसके सपने इतने बड़े थे, वो क्यों अचानक जहर खाकर जान देगी?
जनता का गुस्सा और राजनीतिक हलचल
यह केस अब सिर्फ एक लड़की की मौत नहीं, बल्कि न्याय और व्यवस्था पर भरोसे का मुद्दा बन गया है।विपक्षी पार्टियां और किसान संगठन सरकार पर हमलावर हैं। लोगों का कहना है—“अगर आज मनीषा को इंसाफ नहीं मिला, तो कल किसी और बेटी के साथ भी यही होगा।”
नतीजा क्या?
19 अगस्त तक मनीषा का अंतिम संस्कार नहीं हुआ। परिवार और गांव वाले कह रहे हैं—“जब तक सच सामने नहीं आएगा, हम हार नहीं मानेंगे।”
हरियाणा सरकार और पुलिस आत्महत्या की थ्योरी पर अड़ी है, लेकिन जनता सवाल कर रही है— या मनीषा केस को सचमुच दबाया जा रहा है? या फिर सच इतना दर्दनाक है कि सिस्टम उसे सामने लाने से डर रहा है? मनीषा की मौत अब सिर्फ एक क्राइम केस नहीं, बल्कि समाज और सिस्टम की विश्वसनीयता की परीक्षा है। लोग चाहते हैं कि यह केस किसी फाइल में दब न जाए, बल्कि सच सामने आए—चाहे वह कितना भी कड़वा क्यों न हो।
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