Hussain Mansuri social worker:मुंबई की भागती-दौड़ती गलियों में, जहाँ सपने अक्सर हकीकत से टकराकर टूट जाते हैं, वहाँ एक शख़्स चलता है — जैसे किसी लंबी रात के बाद सुबह की पहली किरण। न कोई चमक-धमक, — बस एक सादा मुस्कान और आँखें, जिनमें अनगिनत कहानियों का भार छुपा है।
Hussain Mansuri social worker:उनका नाम है हुसैन मंसूरी।
उसका मिशन? इंसानियत को ट्रेंड बनाना।साधारण शुरुआत, असाधारण सफ़र
हुसैन की कहानी अमीरी और शानो-शौकत से नहीं, बल्कि एक आम ज़िंदगी से शुरू होती है। एक मध्यमवर्गीय परिवार, रोज़ के संघर्ष, और ऐसे काम जो शरीर से ज़्यादा मेहनत माँगते थे और बदले में कम देते थे।
एयरलाइंस से लेकर हॉस्पिटैलिटी तक का सफ़र, उन्होंने इंसानों के हर रंग देखे — अकेलापन, उम्मीद, और दर्द। और वहीं उन्होंने सीखा:”पैसा हालात बदल सकता है, पर करुणा ज़िंदगियाँ बदल देती है।”
मदद का कोई मौसम नहीं होता
हुसैन के लिए मदद करने का कोई तय दिन नहीं। जब भी किसी को ज़रूरत हो, वो वहाँ मौजूद होते हैं — बिना बुलाए, बिना किसी शर्त के।
- कैंसर से जूझ रहे उन बच्चों के इलाज का ख़र्च उठाना, जिनकी मासूम आँखें अब भी सपनों से भरी हैं।
- टाटा मेमोरियल अस्पताल के मरीज़ों को सहारा देना, जो अकेले हैं और निराश।
- COVID-19 के कठिन दिनों में भूखे पेटों तक खाना और दवाइयाँ पहुँचाना।
- और सड़कों पर पड़े देव-चित्रों को सम्मान के साथ जल में विसर्जित करना, ताकि धर्मों के बीच एकता का पुल बने।
डिजिटल मंच से उठी आवाज़
12 मिलियन लोग उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो करते हैं। लेकिन हुसैन के लिए ये संख्या शोहरत का सबूत नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। हर वीडियो, हर पोस्ट एक चिंगारी है — जो ये संदेश देती है कि “मदद करना दान नहीं, बल्कि इंसानियत है।”
उनका सबसे मशहूर वाक्य दिल में उतर जाता है:
“तू बस दुआ कमा, फिर तुझसे अमीर कोई नहीं।”
वो क्यों अलग हैं
आज के दौर में, जहाँ मदद अक्सर हैशटैग और कैमरे के परफेक्ट फ्रेम के साथ आती है, हुसैन का काम बिल्कुल अलग है। कैमरा उनके लिए खुद की इमेज बनाने का ज़रिया नहीं, बल्कि दूसरों को प्रेरित करने का साधन है। उनकी नज़र में न जात है, न मज़हब, न अमीरी-गरीबी — बस इंसान और उसकी ज़रूरत।
जब इंसानियत भी ट्रेंड बनने लगे
हकीकत ये है कि हुसैन मंसूरी सिर्फ मदद नहीं कर रहे, वो सोच बदल रहे हैं। वो ये साबित कर रहे हैं कि करुणा संक्रामक होती है, और अगर चाहो तो इंसानियत भी वायरल हो सकती है। शायद, अगर हम में से कुछ लोग भी उनकी राह पकड़ लें, तो दुनिया सिर्फ बेहतर नहीं, बल्कि जीने लायक जगह बन सकती है।
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