Virat test retirement: क्या विराट कोहली को टेस्ट क्रिकेट से बाहर निकलने को मजबूर किया गाया?
12 मई 2025 , को क्रिकेट जगत में एक सन्नाटा सा छा गया -विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ले लिया । कोई फ़ेयरवेल टेस्ट नहीं , ना कोई सम्मान सम्मान समारोह , सिर्फ़ एक इंस्टाग्राम पोस्ट। लेकिन क्या यह वाक़ई “वक्त” था? या फिर वीर को चुपचाप पीछे हटने को मजबूर किया गया?
Virat test retirement: विराट का टेस्ट क्रिकेट को अचानक अलविदा-

एक अधूरा सपना- जो खुद कोहली ने दुनिया के सामने रखा था
साल 2013 , एक उभरते हुए कोहली ने मीडिया से बातचीत में कहा था, “मेरा सपना है की में टीम इंडिया की लिए टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन बनाऊँ।” उस वक्त उन्होंने यह सपना एक जुनून के साथ बताया था। और 2025 में वो अपने उस सपने से सिर्फ़ 770 रन दूर थे – 9230 पर आकर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
क्या कोई ऐसा खिलाड़ी , जो एक दशक तक किसी सपने के पीछे दोड़ता रहा, आख़िर लाइन से पहले ही हार मान लेता है?
नहीं ? यहाँ से ये कहानी एक गहरी साज़िश में बदल जाती है।
किंग कोहली के रिकोर्डस – क्यों ये संन्यास “असामान्य” था?
- 123 टेस्ट, 9230 रन , औसत 46.85
- 30 शतक, 31 अर्धशतक
- 7 दोहरे शतक- टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यदा
- सबसे सफल भारतीय कप्तान ( 40 टेस्ट जीते)
- दो बार वर्ल्ड टेस्ट चेंपियनशिप फ़ाइनल में टीम को पहुँचाया
- कोहली फ़ॉर्म में थे , फ़िट थे , और 10,000 के अकड़े से महज़ 770 रन दूर थे । तो सवाल उठता है--क्यों ?
पर्दे के पीछे की साज़िश: दबाव , राजनीति और ‘सॉफ़्ट पुश ‘
कप्तानी छीनना- पहल संकेत
2021 में विराट ने टी20 की कप्तानी छोड़ी, लेकिन बीसीसीआई ने उनसे वनडे की कप्तानी भी बिना पूछे ले ली। कोहली ने इसका खुलकर विरोध किया , तभी से बोर्ड और कोहली के बीच रिश्ते खटास में बदल गए। इसके अगले साल 2022 में साउथ अफ़्रीका दौरे के बाद कोहली ने टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी भी छोड़ दी थी।
बीसीसीआई का ‘Soft Push’ गेम
क्रिकेट में जब बोर्ड किसी खिलाड़ी से छुटकारा चाहता है लेकिन बिना विवाद के, तो वो Soft Push अपनाता है:
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उसे अहम टेस्ट सीरीज से “रेस्ट” दिया जाता है
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मीटिंग्स में उसकी राय की अहमियत खत्म कर दी जाती है
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मीडिया में धीरे-धीरे उसकी “form, fitness” पर सवाल उठाए जाते हैं
विराट के साथ यही सब हुआ।
एक ऐसी स्थिति पैदा की गई जहां या तो वो खुद हट जाएं, या ज़बरदस्ती हटाए जाएं।
वो अधूरी गिनती — 9,230
10,000 रन सिर्फ एक आंकड़ा नहीं था — वो विराट के लिए सपनों की मंज़िल थी।
और उससे ठीक पहले रुक जाना… यह संन्यास नहीं, सपने का क़त्ल था।
संन्यास के पीछे ‘सिस्टम’ की साज़िश?
विराट कोहली ने जो सपना 2013 में पब्लिकली बोला था, वो 2025 में अधूरा ही रह गया।
क्या ये सिर्फ ‘थकावट’ थी, या एक सोची-समझी मैनेज्ड विदाई?
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रिकॉर्ड्स अधूरे
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फिटनेस दुरुस्त
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मैदान पर जुनून कायम
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फिर भी चुपचाप अलविदा?
“या तो उन्होंने खुद पीछे हटना चुना… या पीछे हटने के लिए मजबूर किया गया।”
अब बारी आपकी है:
क्या विराट कोहली का टेस्ट से जाना वाकई फैसला था, या सिस्टम की चाल?
कमेंट करें, शेयर करें — क्योंकि जब एक लीजेंड इस तरह जाता है, तो सवाल उठाना ज़रूरी है।