Lidia Thorpe:-हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में एक विवादित घटना सामने आई जब स्वतंत्र सीनेटर लिडिया थॉर्प ने किंग चार्ल्स के खिलाफ खुला विरोध प्रदर्शन किया। थॉर्प ने किंग चार्ल्स के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा, “You are not my king” (आप मेरे राजा नहीं हैं)। यह घटना ऑस्ट्रेलियाई संसद में हुई, जहां किंग चार्ल्स एक भाषण देने के बाद मंच पर खड़े थे। थॉर्प ने जोरदार तरीके से कहा कि किंग चार्ल्स और ब्रिटिश राज ने ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी लोगों पर अन्याय किया और उनकी ज़मीनें छीन लीं।
Lidia Thorpe:-लिडिया थॉर्प की चुनौती
लिडिया थॉर्प ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया राज्य से स्वतंत्र सीनेटर हैं, और आदिवासी अधिकारों की मुखर समर्थक रही हैं। इस घटना के दौरान उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य पर आदिवासी लोगों के साथ किए गए अत्याचारों की बात की और मांग की कि उनके समुदाय को उनकी ज़मीनें और सांस्कृतिक धरोहरें वापस दी जाएं। उन्होंने संसद में स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह आपकी ज़मीन नहीं है। आप हमारे राजा नहीं हैं। हमने आपसे कुछ नहीं मांगा था, बल्कि आपने हमसे सबकुछ छीन लिया।”
किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी क्वीन कैमिला ऑस्ट्रेलिया के पांच दिवसीय दौरे पर थे, जो किंग के रूप में उनकी पहली आधिकारिक यात्रा थी। किंग चार्ल्स का भाषण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया के इतिहास, जलवायु परिवर्तन और महामारी के प्रभावों पर केंद्रित था, लेकिन थॉर्प का विरोध इस कार्यक्रम को अचानक राजनीतिक और ऐतिहासिक चर्चा का केंद्र बना गया। थॉर्प ने कहा कि यह ज़रूरी है कि ब्रिटिश राज की विरासत का सामना किया जाए और उनके समुदाय को न्याय मिले।
Lidia Thorpe की चुनौती:- वायरल विडीओ —
Indigenous senator Lidia Thorpe yells at King Charles after he finished giving a speech at the Australian Parliament:
“You committed genocide against our people, give us our land back! Give us what you stole from us! You are not our King!”
— Pop Base (@PopBase) October 21, 2024
इस घटना के तुरंत बाद, सुरक्षा अधिकारियों ने थॉर्प को सभागार से बाहर निकाल दिया, लेकिन वह जाते हुए भी अपनी बात जोर से कहती रहीं। उन्होंने कहा, “हमारी ज़मीनें वापस करो, हमारी हड्डियां वापस करो, हमारे लोगों को वापस करो।” उन्होंने उपनिवेशवाद और इसके परिणामस्वरूप आदिवासी समुदाय पर हुए अत्याचारों की पुरजोर निंदा की।
इस विरोध ने ऑस्ट्रेलिया और दुनिया भर में बहस छेड़ दी है। आदिवासी अधिकारों की मांग और उपनिवेशवाद की विरासत पर चर्चा फिर से जोर पकड़ने लगी है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर हजारों टिप्पणियां आई हैं, जिसमें कुछ लोग थॉर्प के समर्थन में खड़े हैं, जबकि अन्य ने इसे अनावश्यक और असभ्य करार दिया है।
लिडिया थॉर्प की यह कार्रवाई एक बार फिर से ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी अधिकारों की दिशा में ध्यान केंद्रित कर रही है। ऑस्ट्रेलिया, जहां आज भी किंग चार्ल्स को आधिकारिक रूप से राज्य प्रमुख माना जाता है, में इस मुद्दे पर बहस एक नया मोड़ ले सकती है।