Make in India passenger plane: भारत और रूस मिलकर बनाएंगे पैसेंजर एयरक्राफ्ट, Boeing को लगा करारा झटका
अक्टूबर 2025: भारत अब सिर्फ लड़ाकू विमान ही नहीं, बल्कि जल्द ही पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ाने जा रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) ने मिलकर एक बड़ा समझौता (MoU) किया है, जिसके तहत दोनों देश मिलकर एक आधुनिक क्षेत्रीय पैसेंजर जेट (Regional Passenger Aircraft) तैयार करेंगे।
इस डील को भारत के सिविल एविएशन सेक्टर के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है — क्योंकि अब देश घरेलू स्तर पर कम दूरी के उड़ानों के लिए खुद विमान बना सकेगा।
Make in India passenger plane:क्या है ये नया प्रोजेक्ट?
रूसी कंपनी UAC का Sukhoi Superjet 100 (SJ-100) मॉडल इस प्रोजेक्ट का आधार माना जा रहा है। यह एक 75 से 100 सीटों वाला twin-engine regional aircraft है, जो घरेलू और शॉर्ट-रेंज फ्लाइट्स के लिए डिजाइन किया गया है।
अब HAL इस विमान के भारतीय संस्करण पर काम करेगी, जिसमें भारतीय एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और रूस की टेक्नोलॉजी — दोनों का मेल देखने को मिलेगा। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत घरेलू स्तर पर पैसेंजर जेट्स के निर्माण में आत्मनिर्भर बन सकता है।
कब और कैसे हुआ समझौता
यह MoU मॉस्को में 27–28 अक्टूबर 2025 को साइन हुआ। इसमें दोनों देशों ने तकनीकी सहयोग, उत्पादन साझेदारी और भारत में असेंबली लाइन स्थापित करने पर सहमति जताई है।
HAL ने बताया कि यह प्रोजेक्ट “Make in India” और “Atmanirbhar Bharat” के तहत देश में एविएशन मैन्युफैक्चरिंग को नई ऊंचाई देगा।
UAC के CEO के अनुसार, “भारत न केवल एक बड़ा मार्केट है बल्कि एक भरोसेमंद पार्टनर भी है। यह साझेदारी दोनों देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है।”
Boeing और Airbus को कैसे लगा झटका?
यह प्रोजेक्ट सीधे तौर पर Boeing और Airbus जैसे दिग्गजों के लिए चुनौती बन सकता है। फिलहाल भारत में हर साल सैकड़ों पैसेंजर जेट्स इन्हीं विदेशी कंपनियों से खरीदे जाते हैं।
अगर HAL और UAC का यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो भारत अपने घरेलू विमानों से धीरे-धीरे इन आयातों को कम कर सकता है।
यानी, Boeing को झटका इसलिए, क्योंकि भारत अब “ग्राहक” नहीं बल्कि “निर्माता” की भूमिका में उतरने की तैयारी कर रहा है।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि फिलहाल यह सिर्फ शुरुआती कदम है — Boeing का बड़ा मार्केट (150+ सीट वाले जेट्स) अभी इस साझेदारी से प्रभावित नहीं होगा।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
इस डील के बावजूद कई तकनीकी और कूटनीतिक चुनौतियाँ सामने हैं —
-
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: रूस को पूरी टेक्नोलॉजी शेयर करनी होगी ताकि HAL स्थानीय स्तर पर प्रोडक्शन कर सके।
-
अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन: DGCA और अंतरराष्ट्रीय निकायों से सुरक्षा मंजूरी लेना लंबा प्रोसेस है।
-
पश्चिमी प्रतिबंध (Sanctions): रूस पर चल रहे प्रतिबंधों की वजह से सप्लाई चेन और पार्ट्स को लेकर दिक्कतें आ सकती हैं।
फिर भी, अगर यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा — ऐसा मौका जब देश सिर्फ उड़ानों का बाजार नहीं, बल्कि विमान निर्माता राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
भारत और रूस का यह मिलाजुला प्रोजेक्ट सिर्फ एक एविएशन समझौता नहीं है — यह आत्मनिर्भर भारत की उस नई उड़ान की शुरुआत है, जो आने वाले दशक में देश को एविएशन सुपरपावर बना सकती है।
Boeing और Airbus जैसी कंपनियों के लिए यह एक संकेत है कि अब दुनिया के विमान बाजार में भारत की भूमिका सिर्फ ‘उपभोक्ता’ की नहीं, बल्कि ‘प्रतिद्वंदी निर्माता’ की भी होगी।
