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Delhi NCR Diwali crackers news: दिवाली से पहले खुशखबरी! सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को लेकर दिया नया संकेत..

vishalmathur
Last updated: 2025/10/11 at 10:36 PM
vishalmathur
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7 Min Read
Delhi NCR Diwali crackers news
image source: social media
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Delhi NCR Diwali crackers news:दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट का नवीनतम फैसला: दिवाली के लिए ग्रीन पटाखों को अनुमति

Contents
Delhi NCR Diwali crackers news: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्याफैसले की मुख्य बातें: ग्रीन पटाखों को ट्रायल बेसिस पर अनुमतिफैसले का आधार: संतुलन और व्यावहारिकताभविष्य की चुनौतियां और नागरिकों की जिम्मेदारी

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में ढील देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने दिवाली के दौरान पांच दिनों के लिए केवल ‘ग्रीन’ पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है। यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक उत्सवों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने 10 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान यह मौखिक संकेत दिया, हालांकि औपचारिक आदेश अभी आरक्षित है।

Delhi NCR Diwali crackers news: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या

दिल्ली-एनसीआर लंबे समय से गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है, विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में, जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अक्सर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है। पटाखों को इस प्रदूषण का एक प्रमुख कारक माना जाता है, हालांकि पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियां भी इसमें योगदान देती हैं। 2018 में अर्जुन गोपाल मामले से शुरू हुई इस बहस में सुप्रीम कोर्ट ने कई बार पटाखों पर मौसमी प्रतिबंध लगाए थे। अप्रैल 2025 में, अदालत ने पूरे वर्ष के लिए सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

हालांकि, सितंबर 2025 में अदालत ने ग्रीन पटाखों के उत्पादन की अनुमति दी, लेकिन उनकी बिक्री पर रोक जारी रखी। निर्माताओं और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की याचिकाओं के बाद, अदालत ने इस प्रतिबंध की समीक्षा की और अब ढील देने का फैसला किया है। अदालत ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद अवैध बिक्री जारी है, जिससे प्रवर्तन में चुनौतियां आ रही हैं।

फैसले की मुख्य बातें: ग्रीन पटाखों को ट्रायल बेसिस पर अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति केवल ‘ग्रीन’ पटाखों के लिए है, जो राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) और पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा प्रमाणित हैं। ये पटाखे उत्सर्जन को 30-35% तक कम करते हैं और बेरियम नाइट्रेट जैसे हानिकारक रसायनों से मुक्त हैं। अनुमति निम्नलिखित शर्तों के साथ दी गई है:

  • अवधि: दिवाली के पांच दिनों तक (आमतौर पर धनतेरस से भाई दूज तक)
  • समय सीमा: पटाखे फोड़ने की अनुमति केवल शाम 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक। अन्य त्योहारों जैसे क्रिसमस या गुरुपुरब के लिए अलग से अनुमति की आवश्यकता होगी।
  • बिक्री की शर्तें: केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के माध्यम से बिक्री होगी; ऑनलाइन बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। संयुक्त पटाखे (जैसे फ्लावर पॉट्स के साथ ग्राउंड चक्र) की अनुमति नहीं है।
  • प्रवर्तन: दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे एनसीआर राज्यों को निरीक्षण, जब्ती और दंड के लिए मशीनरी तैनात करनी होगी। नकली ‘ग्रीन’ पटाखों को सामान्य पटाखों के रूप में माना जाएगा, और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
  • निर्माताओं की जिम्मेदारी: निर्माताओं को अनुपालन सुनिश्चित करना होगा और इसके लिए हलफनामा देना होगा।

अदालत ने जोर दिया कि यह अनुमति एक ट्रायल है। यदि इस दौरान प्रदूषण स्तर में वृद्धि होती है, तो भविष्य में और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

फैसले का आधार: संतुलन और व्यावहारिकता

अदालत ने अपने फैसले में पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संतुलन पर जोर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध ‘न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श’। पटाखा उद्योग में काम करने वाले लाखों मजदूरों की आजीविका का भी ध्यान रखा गया है। सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि बच्चों को उत्सव मनाने का मौका मिलना चाहिए, और ग्रीन पटाखों में वैज्ञानिक सुधारों के कारण प्रदूषण में कमी संभव है। दूसरी ओर, अमिकस क्यूरी ने प्रदूषण की गंभीरता पर ध्यान दिलाया, लेकिन अदालत ने ग्रीन पटाखों की तकनीकी प्रगति को मान्यता दी।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी धर्म स्वास्थ्य से समझौता करने वाले कार्यों को प्रोत्साहित नहीं करता। 2018 से 2024 तक के एक्यूआई डेटा की समीक्षा में पाया गया कि कोविड लॉकडाउन को छोड़कर, प्रदूषण स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। फिर भी, अदालत ने ट्रायल बेसिस पर ग्रीन पटाखों को अनुमति देकर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।

भविष्य की चुनौतियां और नागरिकों की जिम्मेदारी

यह फैसला दिल्ली-एनसीआर के निवासियों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन यह प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती भी है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग हो। यदि यह ट्रायल सफल रहा, तो भविष्य में अन्य त्योहारों के लिए भी ऐसी ढील दी जा सकती है। हालांकि, यदि प्रदूषण स्तर बढ़ता है, तो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत आपातकालीन प्रतिबंध लागू हो सकते हैं।

नागरिकों से अपील है कि वे जिम्मेदारी से उत्सव मनाएं। ग्रीन पटाखों का उपयोग करें और निर्धारित समय सीमा का पालन करें। साथ ही, पर्यावरण-अनुकूल विकल्प जैसे लेजर शो, दीयों की सजावट या सामुदायिक उत्सवों पर विचार करें। यह फैसला न केवल उत्सव की भावना को बनाए रखने का अवसर है, बल्कि स्वच्छ हवा के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का भी आह्वान करता है।

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