Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में धार्मिक पहचान के आधार पर नरसंहार
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में स्थित प्रसिद्ध बैसारन घास के मैदान में एक भयानक आतंकी हमला हुआ। इस दिल दहला देने वाली घटना में कम से कम 26 भारतीय पर्यटकों की मौत हो गई जिस में 2 विदेशी लोग भी थे , और 30 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हमले ने पूरे देश को हिला दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर चिंता का विषय बना।
Pahalgam Terror Attack:हमले के दौरान मची बड़ी चौंक
हमले के वक्त बैसारन घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक मौज़ूद थे। हमले की तीव्रता इतनी ज़्यादा थी कि घाटी में अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई। कई लोगों ने झाड़ियों और पत्थरों के पीछे छिपकर अपनी जान बचाई। स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों के मुताबिक, यह हमला पूरी तरह योजनाबद्ध और सुनियोजित था।
हमले की भयावहता: धर्म पूछकर मारी गोली
हमलावर सेना जैसी वर्दी में थे, जिससे लोगों को भ्रम हुआ कि वे सुरक्षा बलों के जवान हैं। आतंकवादियों ने पर्यटकों को रोका और पहले उनका धर्म पूछा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जिन लोगों ने कहा कि वे हिंदू हैं, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गई।
इसके अलावा, आतंकियों ने लोगों से कलमा पढ़ने को कहा, और कईयों की खतना (सुन्नत) की जांच की। जो लोग इसमें विफल रहे, उन्हें वहीं मौके पर मार डाला गया। एक महिला जो किसी तरह से बच गई, उसने बताया कि एक आतंकी ने उससे कहा:
“तुम्हें इसलिए छोड़ा है ताकि तुम जाकर प्रधानमंत्री मोदी को यह नरसंहार बता सको।”
हमले की जिम्मेदारी: TRF (The Resistance Front)
इस हमले की जिम्मेदारी The Resistance Front (TRF) ने ली है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है और इसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी संगठन घोषित किया है। TRF ने दावा किया कि यह हमला कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने की नीति के विरोध में किया गया, जिससे क्षेत्र की जनसंख्या संरचना बदलने का आरोप लगाया गया है।
TRF की स्थापना 2019 में हुई थी और यह विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों, पर्यटकों, सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय नेताओं को निशाना बनाता रहा है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यह हमला ऐसे समय हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत यात्रा पर थे। विश्लेषकों का मानना है कि हमलावरों का मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना भी था।
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा बीच में छोड़ी –
हमले के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर थे। लेकिन जैसे ही हमले की जानकारी मिली, उन्होंने अपनी यात्रा बीच में ही छोड़ दी और भारत लौटने का निर्णय लिया। जेद्दा में निर्धारित राजकीय रात्रिभोज में शामिल न होकर वे तुरंत स्वदेश रवाना हो गए। यह यात्रा भारत-सऊदी संबंधों को मजबूत करने के लिए थी, जिसमें ऊर्जा, रक्षा और हज कोटे जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा प्रस्तावित थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने की उच्चस्तरीय बैठक
हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की रणनीति पर चर्चा हुई।
यह आतंकी हमला केवल एक सुरक्षा विफलता नहीं, बल्कि एक धार्मिक घृणा पर आधारित सामूहिक नरसंहार है। धार्मिक पहचान के आधार पर की गई यह हिंसा भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि और पर्यटन सुरक्षा पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। यह घटना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी है, बल्कि हर भारतीय के लिए एक भावनात्मक आघात भी है।