RBI Cuts Repo Rate:आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की: आर्थिक मंदी और अमेरिकी टैरिफ के बीच राहत की उम्मीद
नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025 – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की मौद्रिक नीति में एक अहम बदलाव करते हुए रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 6.00% कर दिया है। यह लगातार दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की है। इसके साथ ही, RBI ने अपने नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अनुकूल (Accommodative)’ कर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि आगे और भी दरों में कटौती हो सकती है।
RBI Cuts Repo Rate:क्या अब सस्ते लोन का दौर आएगा

क्यों किया गया यह फैसला?
इस बार की रेपो रेट कटौती का सबसे बड़ा कारण है अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 26% का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाना। इससे भारत के निर्यात और समग्र आर्थिक वृद्धि पर दबाव बढ़ा है। आरबीआई को डर है कि यदि जल्दी कदम नहीं उठाया गया, तो आर्थिक विकास दर और गिर सकती है।
इस फैसले का उद्देश्य है सस्ती ऋण व्यवस्था को बढ़ावा देना, जिससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिल सके, और अर्थव्यवस्था को गति मिल सके।
मौद्रिक नीति में बदलाव: ‘अनुकूल’ रुख का क्या मतलब है?
आरबीआई ने अपने नीति रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अनुकूल’ कर दिया है। इसका अर्थ है कि अब आरबीआई की प्राथमिकता आर्थिक वृद्धि को समर्थन देना है, और अगर ज़रूरत पड़ी तो आगे भी रेपो रेट में कटौती की जा सकती है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और मुद्रा की स्थिरता
अमेरिका के टैरिफ निर्णय से न केवल भारत, बल्कि अन्य उभरते हुए देशों की केंद्रीय बैंकों पर भी दबाव पड़ा है। RBI को इस समय दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है:
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एक ओर आर्थिक मंदी को रोकने के लिए ब्याज दरें घटानी हैं।
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दूसरी ओर रुपये की स्थिरता और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना भी ज़रूरी है।
Moody’s ने घटाया भारत का विकास अनुमान
Moody’s Analytics ने भारत की 2025 की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.4% से घटाकर 6.1% कर दिया है। इसका मुख्य कारण अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्यात में गिरावट और व्यापार घाटे का बढ़ना बताया गया है।
क्या और कटौतियां हो सकती हैं?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर आर्थिक गतिविधियां नहीं सुधरीं, तो RBI 2025 के अंत तक रेपो रेट को 5.75% तक भी ला सकता है। यह निर्णय पूरी तरह वैश्विक आर्थिक स्थितियों, घरेलू मांग और मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
रेपो रेट कटौती का असर:
क्षेत्र | संभावित असर |
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गृह ऋण | ईएमआई कम हो सकती है |
ऑटो लोन | ब्याज दरों में राहत |
निवेश | शेयर बाजार को बढ़ावा |
रुपया | डॉलर के मुकाबले दबाव में आ सकता है |
RBI का यह कदम मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए महत्वपूर्ण है। अमेरिकी टैरिफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को झटका दिया है और इस समय ज़रूरी है कि घरेलू मांग को सहारा दिया जाए। रेपो रेट में कटौती और नीति रुख में बदलाव इस दिशा में एक सक्रिय प्रयास है।
अब देखना यह होगा कि क्या यह निर्णय अर्थव्यवस्था को गति देने में सफल होता है या आने वाले समय में और भी कठोर कदमों की ज़रूरत पड़ेगी।