Solar Eclipse 2025: तिथि, समय, भारत में मान्यताएँ और विशेष जानकारी
मार्च 2025 में पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को होगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण दोपहर 2:20 बजे से लेकर शाम 6:16 बजे तक रहेगा। अधिकतम ग्रहण शाम 4:17 बजे होगा। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
Solar Eclipse 2025:क्या भारत में दिखेगा

सूर्य ग्रहण क्या होता है?
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने से आंशिक या पूर्ण रूप से रोक देता है, तो इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह एक खगोलीय घटना है, जिसका वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से महत्व है।
भारत में सूर्य ग्रहण की मान्यताएँ
भारत में सूर्य ग्रहण को धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष माना जाता है। भारतीय परंपराओं के अनुसार:
- सूतक काल – ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है, जिसे अशुभ माना जाता है। इस दौरान मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, पूजा-पाठ नहीं किया जाता, और भोजन पकाने या खाने से बचने की सलाह दी जाती है।
- गंगा स्नान और दान – ग्रहण के दौरान और इसके बाद गंगा स्नान करना तथा जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी – मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए और नुकीली वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- शुद्धिकरण प्रक्रिया – ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करने, घर की सफाई करने और ताजा भोजन ग्रहण करने की परंपरा है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। ग्रहण को बिना सुरक्षा उपकरणों के देखने से आँखों को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए इसे देखने के लिए विशेष सौर चश्मों या लाइव स्ट्रीमिंग का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
मार्च 2025 के सूर्य ग्रहण की विशेषताएँ
- यह वर्ष 2025 का पहला सूर्य ग्रहण होगा।
- यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसका अधिकतम प्रभाव आर्कटिक महासागर, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखेगा।
- भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के चलते सूतक और अन्य परंपराओं का पालन किया जाएगा।
मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण भले ही भारत में दिखाई न दे, लेकिन धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के कारण इसका विशेष महत्व रहेगा। लोग इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान करेंगे, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे सुरक्षित तरीके से देखने की सलाह दी जाएगी। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी, जिसे दुनिया भर के लोग अपने-अपने तरीकों से देखेंगे और समझेंगे।